Adani Group: क्रेडिट रेटिंग एसेंजियों ने अडानी समूह को दी राहत, शेयरों में गिरावट का रेटिंग पर असर नहीं

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Adani Group: अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उनके स्टॉक्स में भारी गिरावट के बीच कई रेटिंग एजेंसियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। खास बात ये है कि किसी भी रेटिंट एजेंसी ने ना तो अडानी ग्रुप की कंपनियों की रेटिंग गिराई है और ना ही निवेशकों के लिए किसी खतरे का संकेत दिया है। ताजा बयान फिच, मूडीज और क्रिसिल की तरफ से आया है, जिसमें उन्होंने कंपनी के शेयरों में गिरावट के बावजूद, अपनी रेटिंग्स पर कोई असर नहीं पड़ने की बात कही है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के इस बयान से अडानी समूह को राहत मिल सकती है। आपको बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के कर्ज के स्तरऔर टैक्स हैवन के इस्तेमाल पर सवाल उठाये थे।

फिच रेटिंग्स ने दी राहत

फिच रेटिंग्स ने कहा है कि शार्ट सेलर हिंडनबर्ग के रिपोर्ट का अडानी समूह की कंपनियों के रेटिंग्स और उनके सिक्योरिटिज पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ने वाला है। साथ ही फिच ने कहा कि कंपनी के कैश फ्लो के उसके अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं आया है। हालांकि फिच ने कहा कि वो अडानी समूह के उन कंपनियों पर करीब से मॉनिटरिंग करता रहेगा जिसे उसने रेटिंग दी हुई है। फिच रेटिंग्स ने मौजूदा समय में अडानी समूह के 8 कंपनियों को रेटिंग दी हुई है।

क्रिसिल का बयान

इससे पहले रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा था कि वो अडानी समूह को दी गई सभी रेटिंग्स पर लगातार नजर बनाये हुए है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वो इन कंपनियों के फाइनेंसिंग, लंबी अवधि में कॉस्ट ऑफ फाइनेसिंग, ऐसा किसी रेग्युलेटरी या कोई कानूनी मामला या फिर ईएसजी से जुड़ा मसला जिससे कंपनी के क्रेडिट प्रोफाइल पर असर पड़ सकता है, उसपर नजर बनाये रखेगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अडानी समूह की छोटी अवधि में किसी बड़े ऑफशोर बॉन्ड की मैच्योरिटी नहीं होने वाली है।

मूडीज ने नहीं बदली रेटिंग

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenberg Report) के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट के चलते ग्रुप की पूंजी जुटाने की क्षमता कम हो सकती है। Moody’s ने अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों को रेटिंग दिया हुआ है। मूडीज ने कहा कि इन तीनों कंपनियों की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मूडीज ने यह भी कहा कि उसने इन कंपनियों की रेटिंग उनके नियामकीय इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस, लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट्स, मजबूत ऑपेरिटंग कैशफ्लो और मार्केट में मजबूत स्थिति को आधार बनाते हुए दिया है।

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